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एमसीडी चुनावों में हार कर भी 'क‍िंग मेकर' ना बन जाए कांग्रेस! जानिए इसकी बड़ी वजह

द‍िल्‍ली नगर न‍िगम (MCD Elections Result 2022) की 250 सीटों के चुनावी रुझान तेजी से सामने आ रहे हैं. इन रुझानों में क‍िसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं म‍िलता द‍िख रहा है. भाजपा (BJP) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के बीच रुझानों में कांटे की टक्‍कर देखने को मिल रही है. कांग्रेस (Congress) का इन चुनावी रुझानों में स‍िर्फ 5 से 7 वार्डों तक ही स‍िमट जाना नजर आ रहा है. लेक‍िन इसके बाद भी कांग्रेस के इन चुनावों में ‘क‍िंग मेकर’ बनने की चर्चा जोरों पर है. बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच अगर मामला फंसता है तो सरकार बनाने की चाबी कांग्रेस के पास ही होगी.

इस बीच देखा जाए तो कांग्रेस अबुल फजल एन्‍क्‍लेव, जाकिर नगर, मुस्तफाबाद और ब्रजपुरी वार्ड समेत करीब 7 वार्डों में आगे चल रही है. माना जा रहा है क‍ि वह इन सीटों पर अगर जीत हास‍िल करती है और चुनाव पर‍िणामों के फाइनल में 10 का आंकड़ा भी छू जाती है तो वह एमसीडी में सरकार बनाने के ल‍िए ‘क‍िंग मेकर’ की भूम‍िका में आ सकती है. बताया जा रहा है क‍ि अबुल फजल एन्‍क्‍लेव और जाकिर नगर से कांग्रेस जीत गई है. चौहान बांगर से कांग्रेस की शगुफ्ता जीत गई हैं और अबुल फजल एन्‍क्‍लेव अरीबा जीत गई हैं.

इस बीच भाजपा और आम आदमी पार्टी बहुमत के आंकड़े के आगे पीछे चल रही हैं. ऐसे में कांग्रेस अगर अपने रुझानों को जीत में तब्दील कर देती है तो वह 2013 के व‍िधानसभा चुनावों की तरह एक बार फ‍िर ‘क‍िंगमेकर’ बन सकती है. द‍िल्‍ली की सत्‍ता में पहली बार काब‍िज हुई आम आदमी पार्टी ने 2013 में 70 व‍िधानसभा सीटों में से 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

वहीं, कांग्रेस को उस समय मात्र 8 सीट हास‍िल हुईं थीं. जबक‍ि भाजपा 34 सीट ही जीत पाई थी. बहुमत से 2 सीट पीछे रही भाजपा उस समय सरकार नहीं बना पाई थी और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन देकर अरव‍िंद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार बना दी थी. उस समय हार कर भी कांग्रेस ‘क‍िंगमेकर’ की भूम‍िका में आई थी.

इस बार भी दोनों के बीच चल रहे कड़े मुकाबले और रुझानों में क‍िसी को स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं म‍िलने के नजर आ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस हार कर भी ‘क‍िंग मेकर’ की भूम‍िका न‍िभा सकती है. देखना यह होगा क‍ि वह आम आदमी पार्टी को 2013 में व‍िधानसभा में समर्थन देने जैसा फैसला लेती है या फ‍िर कोई और रास्‍ता अपनाती है. यह चुनावों के फाइनल नतीजे आने के बाद ही स्‍पष्‍ट होने की उम्‍मीद है.

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